Shodashi - An Overview
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The working day is observed with wonderful reverence, as followers pay a visit to temples, give prayers, and participate in communal worship occasions like darshans and jagratas.
अष्टैश्वर्यप्रदामम्बामष्टदिक्पालसेविताम् ।
Goddess is popularly depicted as sitting about the petals of lotus that may be saved over the horizontal human body of Lord Shiva.
She is honored by all gods, goddesses, and saints. In some sites, she is depicted wearing a tiger’s skin, with a serpent wrapped all over her neck and also a trident in one of her fingers although another retains a drum.
The exercise of Shodashi Sadhana can be a journey toward both equally pleasure and moksha, reflecting the twin nature of her blessings.
तां वन्दे नादरूपां प्रणवपदमयीं प्राणिनां प्राणदात्रीम् ॥१०॥
गणेशग्रहनक्षत्रयोगिनीराशिरूपिणीम् ।
Shodashi’s mantra helps devotees release past grudges, suffering, and negativity. By chanting this mantra, men and women cultivate forgiveness and emotional release, selling peace of mind and the chance to move ahead with grace and acceptance.
भगवान् शिव ने कहा — ‘कार्तिकेय। तुमने एक अत्यन्त रहस्य का प्रश्न पूछा है और मैं प्रेम वश तुम्हें यह अवश्य ही बताऊंगा। जो सत् रज एवं तम, भूत-प्रेत, मनुष्य, प्राणी हैं, वे सब इस प्रकृति से उत्पन्न हुए हैं। वही पराशक्ति “महात्रिपुर सुन्दरी” है, वही सारे चराचर संसार को उत्पन्न करती है, पालती है और नाश करती है, वही शक्ति इच्छा ज्ञान, क्रिया शक्ति और ब्रह्मा, विष्णु, शिव रूप वाली है, वही त्रिशक्ति के रूप में सृष्टि, स्थिति और विनाशिनी है, ब्रह्मा रूप में वह इस चराचर जगत की सृष्टि करती है।
ह्रीङ्काराङ्कित-मन्त्र-राज-निलयं श्रीसर्व-सङ्क्षोभिणी
चक्रे बाह्य-दशारके विलसितं देव्या पूर-श्र्याख्यया
सर्वोत्कृष्ट-वपुर्धराभिरभितो देवी समाभिर्जगत्
तिथि — किसी भी मास की अष्टमी, पूर्णिमा और नवमी का दिवस भी इसके लिए श्रेष्ठ कहा Shodashi गया है जो व्यक्ति इन दिनों में भी इस साधना को सम्पन्न नहीं कर सके, वह व्यक्ति किसी भी शुक्रवार को यह साधना सम्पन्न कर सकते है।
Being familiar with the importance of those classifications will help devotees to choose the appropriate mantras for their personal spiritual journey, making sure that their practices are in harmony with their aspirations and also the divine will.